सूचना

सर्व हक्क त्या त्या लेखकांच्या / प्रकाशकाच्या स्वाधीन.कवितांच्या संकलनासाठी व संग्रहासाठी केलेला हा प्रामाणिक प्रयत्न आहे .कोणत्याही प्रकारे कॉपीराईट भंग करण्याचा आमचा उद्देश नाही .अधिक माहिती साठी व आपल्या अभिप्रायासाठी आम्हाला email पाठवा .swapnilshirsath54@gmail.com

मी मराठी

Total Pageviews

सूची

Sunday, November 24, 2013

ऐ मालिक तेरे बन्दे हम
ऐसे हों हमारे करम
नेकी पर चलें और बदी से टलें
ताकि हंसते हुए निकले दम

ये अंधेरा घना छा रहा
तेरा इंसान घबरा रहा
हो रहा बेखबर, कुछ न आता नज़र
सुख का सूरज छुपा जा रहा
है तेरी रोशनी में जो दम
तो अमावस को कर दे पूनम
नेकी पर... 

जब ज़ुल्मों का हो सामना
तब तू ही हमें थामना
वो बुराई करें, हम भलाई भरें
नहीं बदले की हो कामना
बढ़ उठे प्यार का हर कदम
और मिटे बैर का ये भरम
नेकी पर...

बड़ा कमज़ोर है आदमी
अभी लाखों हैं इसमें कमी
पर तू जो खड़ा, है दयालू बड़ा
तेरी किरपा से धरती थमी
दिया तूने हमें जब जनम
तू ही झेलेगा हम सबके ग़म
नेकी पर..

0 comments: